इधर घोटाला है, देखिए उधर घोटाला है,
राजनीति के दलदल में सबका मुँह काला है।
बातें हैं आदर्शों की पर करनी बिल्कुल उल्टी,
उनका यह अंदाज़ सभी का देखा- भाला है।
जो आता है फँस जाता है, स्वारथ के धागे में,
राजनीति है या कोई मकड़ी का जाला है।
पंचम सुर में झूठा गाए, बढ़चढ़कर इतराए,
सच के मुँह पर लगा हुआ अब तक इक ताला है।
गाँधी तू भी रोता होगा देश की इस हालत पर,
आखिर इसके सपनों को तूने भी पाला है।
सच कहने की सज़ा अगर दो, हँसकर मैं सह लूँगा
युग का हर सुकरात ज़हर का पीता प्याला है।
- दिनेश गौतम
21 comments:
सच कहने की सज़ा अगर दो, हँसकर मैं सह लूँगा
युग का हर सुकरात ज़हर का पीता प्याला है।
बहुत सुंदर प्रस्तुति,..बेहतरीन रचना के लिए बधाई,दिनेश जी....
MY RESENT POST .....आगे कोई मोड नही ....
धन्यवाद धीरेन्द्र जी, मेरी पोस्ट पर आपकी महत्वपूर्ण टिप्पणी के लिए। कृ्पा बनाए रखें।
सुन्दर प्रस्तुति |
बधाई स्वीकारें ||
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति
बुधवारीय चर्चा-मंच पर |
charchamanch.blogspot.com
गाँधी तू भी रोता होगा देश की इस हालत पर,
आखिर इसके सपनों को तूने भी पाला है।... :(
very very nice........
regards.
very very nice........
regards.
धन्यवाद रविकर जी, रश्मि जी और अनु जी। आपकी महत्वपूर्ण टिप्पणियों के लिए आभारी हूँ।
बहुत सुंदर रचना । शुभकामनाएँ ।
सच कहने की सज़ा अगर दो, हँसकर मैं सह लूँगा
युग का हर सुकरात ज़हर का पीता प्याला है।...
बहुत अच्छी रचना ... ये शे र बहुत पसंद आया ... आभार !!
धन्यवाद रजनीश जी ।
धन्यवाद क्षितिजा जी। आपने मेरी रचना पसंद की, इसी तरह आते रहिए।
गाँधी तू भी रोता होगा देश की इस हालत पर,
आखिर इसके सपनों को तूने भी पाला है..
सच कहा है ... गांधी बेचारा रोता होगा इनपे .. लाजवाब व्यंग है हर शेर ...
धन्यवाद दिगम्बर नासवा जी।
पंचम सुर में झूठा गाए, बढ़चढ़कर इतराए,
सच के मुँह पर लगा हुआ अब तक इक ताला है।
देश की वर्तमान व्यवस्था पर करारा व्यंग्य .इन कुत्ताये लोगों के बारे में यही कहा जा सकता है -
सामने दर्पण के जब तुम आओगे ,
अपनी करनी पे बहुत पछताओगे
बढ़िया प्रस्तुति हर माने में अव्वल .
सोमवार, 7 मई 2012
भारत में ऐसा क्यों होता है ?
http://veerubhai1947.blogspot.in/
तथा यहाँ भीं सर जी -
चोली जो लगातार बतलायेगी आपके दिल की सेहत का हाल
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
गोली को मार गोली पियो अनार का रोजाना जूस
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/05/blog-post_07.html
धन्यवाद वीरू भाई जी!
गाँधी तू भी रोता होगा देश की इस हालत पर,
आखिर इसके सपनों को तूने भी पाला है।
...आज तो ऐसी स्थिति हो चली कि अब गाँधी जी तो बस तिजोरी में ही सुहाते है बहुत लोगों को..
बहुत सुन्दर सार्थक सामयिक प्रस्तुति
thanks kavita ji.
धन्यवाद रविकर जी।
धन्यवाद रविकर जी।
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