बस इसलिए कि उससे कोई वास्ता नहीं है,
तू हादसे को कहता है हादसा नहीं है।
होती ही जा रही है दिल की दरार गहरी,
इस बात का तुझे क्या कोई पता नहीं है?
इंसानियत से इंसाँ, बनता है देवता भी,
इंसान जो नहीं है, वह देवता नहीं है।
लाखों में एक भी तू, ऐसा मुझे दिखा दे,
अनजान हो जो दुख से, ग़म से भरा नहीं है।
माना कि उससे मेरी कुछ दूरियाँ बढ़ी हैं,
पर दिल ये कह रहा है, वो बेवफा नहीं है।
मुझको न इतना तड़पा, नज़रें न फेर मुझसे,
माना भला नहीं पर, ये दिल बुरा नहीं है।
तेरी भी मैली चादर, मेरी भी मैली चादर,
इस दाग़ से यहाँ पर, कोई बचा नहीं है।
दिनेश गौतम