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Wednesday, 11 April 2012

ग़ज़ल - देवता नहीं है...


बस इसलिए कि तेरा कोई वास्ता नहीं है,
तू हादसे को कहता है, हादसा नहीं है।

होती ही जा रही है, दिल की दरार गहरी,
इस बात का तुझे क्या, कोई पता नहीं है?

इंसानियत से इन्सां, बनता है देवता भी,
इंसान जो नहीं है, वह देवता नहीं है।

लाखों में एक भी तू, ऐसा मुझे बता दे,
अनजान हो जो दुख से, ग़म से भरा नहीं है।

माना कि उससे मेरी, कुछ दूरियाँ बढ़ी हैं,
पर दिल ये कह रहा है, वो बेवफा नहीं है।

मुझको न इतना तड़पा, नज़रें न फेर मुझसे,
माना भला नहीं पर, ये दिल बुरा नहीं है।

तेरी भी मैली चादर, मेरी भी मैली चादर,
इस दाग़ से यहाँ पर, कोई बचा नहीं है।
                                                    - दिनेश गौतम.

19 comments:

दीपिका रानी said...

मतला ही इतना असरदार कि मज़ा आ गया। अच्छी ग़ज़ल..

JAY SINGH"GAGAN" said...

सुन्दर अभिव्यक्ति

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बेहतरीन भाव पुर्ण बहुत सुंदर गजल,लाजबाब प्रस्तुति,....

RECENT POST...काव्यान्जलि ...: यदि मै तुमसे कहूँ.....
RECENT POST...फुहार....: रूप तुम्हारा...

ANULATA RAJ NAIR said...

वाह!!!!!!!!!!!!!!!!!!१
बहुत बढ़िया गज़ल दिनेश जी

मुझको न इतना तड़पा, नज़रें न फेर मुझसे,
माना भला नहीं पर, ये दिल बुरा नहीं है।
लाजवाब शेर......

सादर
अनु

रविकर said...

BAHUT KHUB

Unknown said...

बहुच ही अच्‍छा गजल है।
दिल को छु गया

Unknown said...

बहुच ही अच्‍छा गजल है।
दिल को छु गया

Sanjay Mahapatra said...

माना कि उससे मेरी, कुछ दूरियाँ बढ़ी हैं,
पर दिल ये कह रहा है, वो बेवफा नहीं है।

उम्दा , बेहतरीन है गौतम साहब :) :)

girish pankaj said...

अच्छी ग़ज़ले कह रहे हो दिनेश, बधाई, शुभकामनाये....

Saras said...

बस इसलिए कि तेरा कोई वास्ता नहीं है,
तू हादसे को कहता है, हादसा नहीं है।
और
तेरी भी मैली चादर, मेरी भी मैली चादर,
इस दाग़ से यहाँ पर, कोई बचा नहीं है।
.........बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ...दिनेशजी

वैभव शिव पाण्डेय "क्रांति" said...

क्या बात हैं सर ...बहूत गजब लिख दिए हैं....सच कहते हैं
तेरी भी मैली चादर, मेरी भी मैली चादर,
इस दाग़ से यहाँ पर, कोई बचा नहीं है।
बहूत ही बढ़िया ...हर एक पक्ति अपने में खास हैं .....लाजवाब हैं।

Shikha Kaushik said...

bahut sundar v damdar prastuti .aabhar

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Minakshi Pant said...

बहुत सुन्दर और सही बात कहती रचना |

Sonroopa Vishal said...

तेरी भी मैली चादर, मेरी भी मैली चादर,
इस दाग़ से यहाँ पर, कोई बचा नहीं है...........ये शेर तो लाजबाब लिख गया है .......

Vandana Ramasingh said...

इंसानियत से इन्सां, बनता है देवता भी,
इंसान जो नहीं है, वह देवता नहीं है।

bahut badhiya

महेन्‍द्र वर्मा said...

इंसानियत से इन्सां, बनता है देवता भी,
इंसान जो नहीं है, वह देवता नहीं है।

शब्दों और भावों के ताने-बाने से यथार्थ की चादर बुनी है आपने।

Aruna Kapoor said...

माना कि उससे मेरी, कुछ दूरियाँ बढ़ी हैं,
पर दिल ये कह रहा है, वो बेवफा नहीं है।

बहुत खूब!...अत्युत्तम प्रस्तुति!...आभार!

यह लिंक देखिए...
http://arunakapoor.blogspot.in/2012/04/blog-post_14.html

दिगम्बर नासवा said...

माना कि उससे मेरी, कुछ दूरियाँ बढ़ी हैं,
पर दिल ये कह रहा है, वो बेवफा नहीं है।...

Bahut khoob ... Lajawab gazal hai ... Kamal ka sher...

nanditta said...

भाव पुर्ण ,बहुत बढ़िया गज़ल