बस इसलिए कि तेरा कोई वास्ता नहीं है,
तू हादसे को कहता है, हादसा नहीं है।
होती ही जा रही है, दिल की दरार गहरी,
इस बात का तुझे क्या, कोई पता नहीं है?
इंसानियत से इन्सां, बनता है देवता भी,
इंसान जो नहीं है, वह देवता नहीं है।
लाखों में एक भी तू, ऐसा मुझे बता दे,
अनजान हो जो दुख से, ग़म से भरा नहीं है।
माना कि उससे मेरी, कुछ दूरियाँ बढ़ी हैं,
पर दिल ये कह रहा है, वो बेवफा नहीं है।
मुझको न इतना तड़पा, नज़रें न फेर मुझसे,
माना भला नहीं पर, ये दिल बुरा नहीं है।
तेरी भी मैली चादर, मेरी भी मैली चादर,
इस दाग़ से यहाँ पर, कोई बचा नहीं है।
- दिनेश गौतम.
19 comments:
मतला ही इतना असरदार कि मज़ा आ गया। अच्छी ग़ज़ल..
सुन्दर अभिव्यक्ति
बेहतरीन भाव पुर्ण बहुत सुंदर गजल,लाजबाब प्रस्तुति,....
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वाह!!!!!!!!!!!!!!!!!!१
बहुत बढ़िया गज़ल दिनेश जी
मुझको न इतना तड़पा, नज़रें न फेर मुझसे,
माना भला नहीं पर, ये दिल बुरा नहीं है।
लाजवाब शेर......
सादर
अनु
BAHUT KHUB
बहुच ही अच्छा गजल है।
दिल को छु गया
बहुच ही अच्छा गजल है।
दिल को छु गया
माना कि उससे मेरी, कुछ दूरियाँ बढ़ी हैं,
पर दिल ये कह रहा है, वो बेवफा नहीं है।
उम्दा , बेहतरीन है गौतम साहब :) :)
अच्छी ग़ज़ले कह रहे हो दिनेश, बधाई, शुभकामनाये....
बस इसलिए कि तेरा कोई वास्ता नहीं है,
तू हादसे को कहता है, हादसा नहीं है।
और
तेरी भी मैली चादर, मेरी भी मैली चादर,
इस दाग़ से यहाँ पर, कोई बचा नहीं है।
.........बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ...दिनेशजी
क्या बात हैं सर ...बहूत गजब लिख दिए हैं....सच कहते हैं
तेरी भी मैली चादर, मेरी भी मैली चादर,
इस दाग़ से यहाँ पर, कोई बचा नहीं है।
बहूत ही बढ़िया ...हर एक पक्ति अपने में खास हैं .....लाजवाब हैं।
bahut sundar v damdar prastuti .aabhar
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बहुत सुन्दर और सही बात कहती रचना |
तेरी भी मैली चादर, मेरी भी मैली चादर,
इस दाग़ से यहाँ पर, कोई बचा नहीं है...........ये शेर तो लाजबाब लिख गया है .......
इंसानियत से इन्सां, बनता है देवता भी,
इंसान जो नहीं है, वह देवता नहीं है।
bahut badhiya
इंसानियत से इन्सां, बनता है देवता भी,
इंसान जो नहीं है, वह देवता नहीं है।
शब्दों और भावों के ताने-बाने से यथार्थ की चादर बुनी है आपने।
माना कि उससे मेरी, कुछ दूरियाँ बढ़ी हैं,
पर दिल ये कह रहा है, वो बेवफा नहीं है।
बहुत खूब!...अत्युत्तम प्रस्तुति!...आभार!
यह लिंक देखिए...
http://arunakapoor.blogspot.in/2012/04/blog-post_14.html
माना कि उससे मेरी, कुछ दूरियाँ बढ़ी हैं,
पर दिल ये कह रहा है, वो बेवफा नहीं है।...
Bahut khoob ... Lajawab gazal hai ... Kamal ka sher...
भाव पुर्ण ,बहुत बढ़िया गज़ल
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