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Saturday 24 March 2012

कैसी लाचारी

मेरे काव्य ‘संग्रह सपनों के हंस’ से एक गीत आज आपकी सेवा में प्रस्तुत है।

मर-मर कर जीने की कैसी लाचारी ?,
छोटे से इस दिल को मिले दर्द भारी...।

धुँधले से दिन हैं अब
काली है रातें ,
अंगारे दे गई हैं
अब की बरसातें,
आँगन में गाजों का,गिरना है जारी...।

मन की इस बगिया में
झरे हुए फूल हैं,
कलियों से बिंधे हुए
निष्ठुर से शूल हैं,
मुरझाई लगती है,सपनों की क्यारी...।

नई-नई पोथी के
पृ्ष्ठ कई जर्जर हैं,
तार-तार सप्तक हैं,
थके-थके से स्वर हैं,
बस गई हैं तानों में,पीड़ाएँ सारी...।

दूर तक मरुस्थल की
फैली वीरानी है,
मन के मृगछौने के
सपनों में पानी है।
भटक रही हिरनी भी, तृष्णा की मारी...।

रतिया की सिसकी है,
दिवस की व्यथाएँ हैं,
ठगे हुए सपनों की
अनगिन कथाएँ हैं।
दुनिया में जीने की, इतनी तैयारी...।

- दिनेश गौतम

13 comments:

रश्मि प्रभा... said...

नई-नई पोथी के
पृ्ष्ठ कई जर्जर हैं,
तार-तार सप्तक हैं,
थके-थके से स्वर हैं,
बस गई हैं तानों में,पीड़ाएँ सारी...।बहुत ही गहन

दीपिका रानी said...

सुंदर गीत है। वेदना से भरपूर..

ANULATA RAJ NAIR said...

वाह..............
बहुत ही सुन्दर गीत....
भावों से लबालब भरा....

सादर.

मेरा मन पंछी सा said...

बहुत ही सुन्दर,,,गहन भाव अभिव्यक्ति है....
बहुत बढ़िया प्रस्तुति....

दिगम्बर नासवा said...

रतिया की सिसकी है,
दिवस की व्यथाएँ हैं,
ठगे हुए सपनों की
अनगिन कथाएँ हैं।
दुनिया में जीने की, इतनी तैयारी..

वेदना की पुकार है ... ये गीत की झंकार ...
बहुत खूब ...

Rakesh Rohit said...

बहुत सुंदर गीत है. भावों की रागात्मकता के साथ सहज संप्रेषणीय अभिव्यक्ति इसे बेजोड़ बनाती है. आपको हार्दिक बधाई. बहुत सुंदर पंक्तियाँ हैं-
"रतिया की सिसकी है,
दिवस की व्यथाएँ हैं,
ठगे हुए सपनों की
अनगिन कथाएँ हैं।
दुनिया में जीने की, इतनी तैयारी...।"

Saras said...

नई-नई पोथी के
पृ्ष्ठ कई जर्जर हैं,
तार-तार सप्तक हैं,
थके-थके से स्वर हैं,
बस गई हैं तानों में,पीड़ाएँ सारी...।

दर्द उलीनचती प्रस्तुति ...सुन्दर !

Dr Xitija Singh said...

नई-नई पोथी के
पृ्ष्ठ कई जर्जर हैं,
तार-तार सप्तक हैं,
थके-थके से स्वर हैं,
बस गई हैं तानों में,पीड़ाएँ सारी...।

उम्दा रचना .. !!

Rachana said...

दूर तक मरुस्थल की
फैली वीरानी है,
मन के मृगछौने के
सपनों में पानी है।
भटक रही हिरनी भी, तृष्णा की मारी...।
bahut sunder
badhai

Anupama Tripathi said...

जीवन से जुडी गहन वेदना ...
सुंदर अभिव्यक्ति ...
शुभकामनायें ...!

प्रेम सरोवर said...

बहुत ही अच्छी प्रस्तुति । धन्यवाद ।

संजय भास्‍कर said...

सुन्दर अहसासों से लबरेज़ कविता

Anonymous said...

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