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Sunday 22 February 2015

यादें मरती नहीं हैं----

यादें मरती नहीं हैं

तुम्हारी यादों के साथ- साथ
चलता है झील का किनारा,
जहाँ किनारे खड़े
पेड़ों के साए में
चले थे हम-तुम
साथ-साथ,
झील के दूसरे छोर तक।

तुम्हें याद है या नहीं
तुम्हीं ने आगे बढ़कर
मेरे हाथों में अपना हाथ
डाल दिया था
और कहा था- ‘‘ ये पक्का है,
और इस जनम में तो
छूटने से रहा।’’

बस उसी पल से
हवा में फैल गई थी
तुम्हारे प्यार की खुशबू
और महकाती रही
मेरे मन-प्राणों को
तब से अब तक
और मैंने भी तुम्हें
अपनी रुह में टाँक लिया था।

हैरत में हूँ  मैं
कि झटक दिया है तुमने
अब वही हाथ,
जबकि इसी जनम के
सात बरस भी पूरे नहीं हो पाए।
सतरंगी सपनों का ‘स्पेक्ट्रम’
घुमा दिया  तुमने,
और सब कुछ अचानक
सफेद हो गया।

कोई रंग नहीं जीवन में अब
इस सफेद रंग के सिवा।
हवाओं की खुशबू
कहीं खो गई।
खींच दी तुमने लकीर
अचानक
मेरे और अपने बीच,
और कह दिया-
‘‘इस पार आने से
तुम पत्थर के हो जाओगे।’’
मुझे लगता है कि
तुम ही बदल गईं
किसी पत्थर में
किसी तिलस्म ने
छीन ली मेरी राजकुमारी।

मेरी नींदें
भटकती हैं आँखों से दूर,
यहाँ अब रतजगे रहते हैं
पूछते हैं जो मुझसे-
‘‘क्या हुआ
हाथों में दिए गए हाथ का?
क्या यह जन्म ख़त्म हो चुका है?’’

‘दलपत सागर’ -वह झील,
क्यूँ बदल गई है
पोखर में?
सूख रही है झील,
मर रहा है पानी,
पर
यादें हैं कि मरती नहीं हैं।
             
                     -  दिनेश गौतम


 27. 01.2015                 फतेहसागर झील, उदयपुर।


14 comments:

दिगम्बर नासवा said...

यादें कभी ख़त्म नहीं होती ... जिस्म के साथ जाती हैं ...

डॉ. मोनिका शर्मा said...

Sunder rachna

dinesh gautam said...

Thanks digambar naswa ji

dinesh gautam said...

Thanks Monika ji.

Unknown said...

Superb...feelings

Unknown said...

Superb...feelings

कविता रावत said...

इंसान हैं तो यादें हैं चिपकी रहती हैं उससे

Unknown said...

तुम्हें याद है या नहीं
तुम्हीं ने आगे बढ़कर
मेरे हाथों में अपना हाथ
डाल दिया था
और कहा था- ‘‘ ये पक्का है,
और इस जनम में तो
छूटने से रहा।’’

वाह दिनेश जी, शानदार पंक्तियां हैं। आपसे अनुरोध है अपना ईमेल पता व मोबाइल नंबर साझा कर सकें, तो कृपया करें।

Deepalee thakur said...

वाह!बहुत सुंदर रचना..........
यादें..कभी खुशबू गुलाब की
तो
कभी काँटों सी चुभती है

dinesh gautam said...

Thanks

dinesh gautam said...

Thanks

Unknown said...

बहुत सुदर रचनाऐं सर

Unknown said...

सुंदरम्...
बहुत अच्छी बात भैया..

अत्यंत हर्ष का अवसर है यह...
हार्दिक बधाई एवं नेक शुभकामनाएं...
जय श्रीराम

Rupendra raj said...

बहुत ही सुंदर कविता, टूटन इतनी दर्द भरी होती है कि शब्द उसे समेट नहीं पाते,आपने बहुत कुछ कुशलता से समेटा.