Total Pageviews

Wednesday 8 July 2020

भीग जाने का मौसम

भीग जाने का मौसम

बारिश हो रही है
अनवरत, अबाध।
भीग रही है धरती
भीतर तक
पैठ रहा है पानी।
तृप्त हो रही है धरती
अपनी आँखें मूँदे।

पेड़ों ने झुका दिए हैं सर
बारिश के झकोरों के सामने हथियार डालकर।

घर की खिड़की पर
काँच के इस पार खड़े होकर
बारिश को निहारना
कितना सुखद है!

टूट रही हैं
मन की कठोर परतें,
तुम्हारा ख़याल
मन के भीतर तक पहुँच रहा है।
बारिश और तुम्हारा ख़याल
कितने अभिन्न हैं
एक दूसरे से।
गर्म कॉफी का प्याला
हाथों में लिए मैं
देख रहा हूँ
भिगा रही है बारिश
धरती की देह
और तुम्हारा ख़याल मन को।

हो रहा है सब कुछ
मन के भीतर
भीना-भीना सा।
भीग रहा है मन
भीग जाने का मौसम है यह।
          - दिनेश गौतम
  

3 comments:

कविता रावत said...

बारिश का मौसम मनोभाव को झंकृत कर देता है
बहुत सुंदर

dinesh gautam said...

धन्यवाद कविता जी।

Zee Talwara said...

Thanks, for sharing these line, nice, Free me Download krein: Mahadev Photo