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Wednesday 8 March 2023

गीत- एक सजीला फागुन है..

एक सजीला फागुन है और दूजी याद तुम्हारी

दोनों ने मिल कर मारी है, मन पर चोट करारी।


आहत मन को चैन दिलाए,

ढाढ़स कौन बँधाए

रातें लंबी हो जाएँ तो,

कौन संग में गाए ?

विरही गीतों की तानें जब,  ख़ूब चलाए आरी...


अटका रहा पलाश की टहनी,

फागुन द्वार न आया,

पल-पल जिनको याद किया,

उन सबने  मिल बिसराया।

कहाँ गई वे मीठी यादें, वे मधु - ऋतुएँ सारी...


अंगारों-से दहके टेसू,

जब-जब  टेसू-वन में,

तब-तब आग लगाए बिरहा

मेरे प्रेमिल मन में।

करवट लेते जाग-जाग कर  रातें रोज़ गुज़ारी ...


नदी किनारे प्यासा बिरवा,

 कौन भला ये माने?

 बीत रही हो जो ख़ुद पर वह

ख़ुद ही तो बस जाने।

दुख खरीदकर सुख दे ऐसा  मिला नहीं व्यापारी ...