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Sunday 16 September 2012

ग़ज़ल


बस इसलिए कि उससे कोई वास्ता नहीं है,
तू हादसे को कहता है हादसा नहीं है।

होती ही जा रही है दिल की दरार गहरी,
इस बात का तुझे क्या कोई पता नहीं है?

इंसानियत से इंसाँ, बनता है देवता भी,
इंसान जो नहीं है, वह देवता नहीं है।

लाखों में एक भी तू, ऐसा मुझे दिखा दे,
अनजान हो जो दुख से, ग़म से भरा नहीं है।

माना कि उससे मेरी कुछ दूरियाँ बढ़ी हैं,
पर दिल ये कह रहा है, वो बेवफा नहीं है।

मुझको न इतना तड़पा, नज़रें न फेर मुझसे,
माना भला नहीं पर, ये दिल बुरा नहीं है।

तेरी भी मैली चादर, मेरी भी मैली चादर,
इस दाग़ से यहाँ पर, कोई बचा नहीं है।

                                 दिनेश गौतम

17 comments:

रविकर said...

मस्त है भाई जी ||

dinesh gautam said...

धन्यवाद रविकर जी।

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत बढ़िया गज़ल...
इंसानियत से इंसाँ, बनता है देवता भी,
इंसान जो नहीं है, वह देवता नहीं है।
लाजवाब !!

सादर
अनु

dinesh gautam said...

धन्यवाद अनु जी। मुझे आपकी टिप्पणी अच्छी लगी।

S.N SHUKLA said...


सुन्दर रचना, सार्थक भाव, बधाई.

कृपया मेरे ब्लॉग"meri kavitayen" की नवीनतम पोस्ट पर भी पधारें , आभारी होऊंगा.

Unknown said...

Adhbut Rachna Bahut hi sunder,,,

Unknown said...

bahut hi sunder.

Unknown said...

bahut hi sunder.

Vandana Ramasingh said...

तेरी भी मैली चादर, मेरी भी मैली चादर,
इस दाग़ से यहाँ पर, कोई बचा नहीं है।

बहुत बढ़िया

ज्योतिषाचार्य ललित मोहन कगड़ियाल,, said...

@ बस इसलिए कि उससे कोई वास्ता नहीं है,
तू हादसे को कहता है हादसा नहीं है।. वाह........................जीवन के कई हिस्सों से जोड़ा जा सकता है आपकी इन दो पंक्तियों को.सरल शब्दों में ह्रदय की गहराई में उतरने वाली पंक्तियाँ. भई वाह.............

Sunita Sharma said...


माना कि उससे मेरी कुछ दूरियाँ बढ़ी हैं,
पर दिल ये कह रहा है, वो बेवफा नहीं है।

मुझको न इतना तड़पा, नज़रें न फेर मुझसे,
माना भला नहीं पर, ये दिल बुरा नहीं है।
wah sundar panktiya aur khubsurat gajal ........very nice dinesh ji

mridula pradhan said...

तेरी भी मैली चादर, मेरी भी मैली चादर,
इस दाग़ से यहाँ पर, कोई बचा नहीं है।
ekdam sahi kahe.....

हरकीरत ' हीर' said...

मत्ला और मक्ता दोनों लाजवाब लगे ......

अब क्या कहूँ कि कैसी, ग़ज़ल लिखी है
इंसानियत का कोई भी पाठ छूटा नहीं है

प्रतिभा सक्सेना said...

तेरी भी मैली चादर, मेरी भी मैली चादर,
इस दाग़ से यहाँ पर, कोई बचा नहीं है।
- बहुत आसानी से पर बहुत गहरी पैठ दिखाई दे रही है आपकी !

dinesh gautam said...

धन्यवाद शुक्ला जी, खुशबू शर्मा जी, वंदना जी, पं. ललित मोहन जी, सुनीता जी, मृदुला प्रधान जी, हरकीरत हीर जी, प्रतिभा सक्सेना जी। आप सब की टिप्पणियों ने मुझे आत्मीयता का अहसास करवाया। आप सभी का आभार।

dinesh gautam said...
This comment has been removed by the author.
Rupendra raj said...

तेरी भी मैली चादर, मेरी भी मैली चादर,
इस दाग़ से यहाँ पर, कोई बचा नहीं है।
वाहहहह!!!
उम्दा ग़ज़ल का बेहतरीन शेर